मुक्तक
1पाकिस्तानी सेना का अब,कण- कण चकनाचूर कियापहलगाम की कायरता का ,बदला भी भरपूर लियासभी ठिकाने ध्वस्त किये हैं ,मार गिराये
Read More*तुमको अपनी जीत लिखूँ* (गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, छंद संग्रह) मेरे परम मित्र भाई संजय कुमार गिरि जी युवा कवि, शायर
Read Moreकल रात की बासी रोटी को , मैं आज मजे से खा रहा हूँ , कल एक घर बना के
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