सहज संगिनी
बहुत दिनों से लिखा न कुछ भी,क्या लिख दूँ।पढ़ने में हूँ लगा ज़िन्दगी,क्या लिख दूँ। जिन्हें मित्र कहता था सगा
Read Moreबहुत दिनों से लिखा न कुछ भी,क्या लिख दूँ।पढ़ने में हूँ लगा ज़िन्दगी,क्या लिख दूँ। जिन्हें मित्र कहता था सगा
Read More(1) मसिजीवी हैं जो श्रमिक,उनको नम्र प्रणाम। दूर करें अड़चन सभी,उनकी प्रभु श्रीराम।। उनकी प्रभु श्रीराम,कीर्ति फैलायें जग में। लेखन
Read Moreअपनी भूमिका भू पे’ निभाकर हमें लौटकर जाना है, सब कुछ अपना छोड़ धरा पर हमें लौटकर जाना है। गौण
Read Moreकहते-कहते दिन बदलेंगे,सालों गुज़र गये हम भी सुख का रस चख लेंगे,सालों गुज़र गये! औरों की शादी में शामिल हुये
Read Moreकिस भाव में निज ज़िन्दगी एहसास है तुम्हें, उर में बहे पीड़ा-नदी एहसास है तुम्हें? है योग्य युवा फिर भी
Read Moreमेरे सँग न कोई चलता अब दोस्तो, ऐंठी में मीत हर अड़ता अब दोस्तो! मैं जो उनको बधाई न देता
Read Moreतुम मुझे पहचानते हो खूब तो है, देख भौंहें तानते हो खूब तो है! मैं भले भाता नहीं तुमको मगर,
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