जनता का धन, निजी लाभ : खिलाड़ियों के इनाम पर सवाल
पदक नहीं मिला, पर ईनाम मिल गया — क्या यह नैतिकता है? चार करोड़ रुपये — एक बड़ी राशि है।
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Read Moreशूद्र अछूत कहे जिन्हें, जीवन भर लाचार।फूले ने दी सीख तो, खोला ज्ञान-द्वार॥ यज्ञ-जपों की आड़ में, होता रहा प्रपंच।फूले
Read Moreभारत में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकार आज निजी संस्थानों के लिए मुनाफे का जरिया बन चुके हैं। प्राइवेट
Read Moreआज के भौतिकवादी और असहिष्णु समय में भगवान महावीर के विचार पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं। उन्होंने अहिंसा, सत्य,
Read Moreबाबा बोले मूत्र पिएँ, पीते श्रद्धावान।मगर दलित का जल बने, छूते ही अपमान॥ नेत्र मूँद कर मानते, बाबा को भगवान।तर्क
Read Moreमीडिया में स्त्रियों की छवि और उससे जुड़ी सनसनीखेज रिपोर्टिंग ने आज गंभीर सवाल पैदा कर दिये है। कुछ घटनाओं
Read Moreकुछ पुरानी तस्वीरें फिर से मुस्कुराईं,वो पहली मुस्कान, वो हल्की सी शरमाहट,जैसे वक्त की किताब फिर से पलट गई। साल
Read Moreखजागुड़ा जैसे जंगलों को शहरीकरण के नाम पर नष्ट किया जा रहा है, जिससे न केवल पेड़, बल्कि वन्यजीव और
Read Moreसूना जब आँगन लगे, बने न कोई बात।सब्र रखो उस वक़्त में, वही बने सौगात॥ धन वैभव जब पास हो,
Read Moreयह फिल्म हरियाणवी सिनेमा के बदलते परिदृश्य को दर्शाती है, जो पारंपरिक कहानियों से आगे बढ़कर नए विषयों को अपनाने
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