घाट-84 “रिश्तों का पोस्टमार्टम” भाग- (एक) 1
घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम भाग-(एक) 1 “चलो कपड़े पहनते हैं अब इश्क़ पूरा हुआ…“ छी….!!!. “बस यही रह गया है
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Read Moreपराई औलाद कहानी “महेश को पता चलेगा तो रमेश को बहुत डांटेगा क्योंकि जब दोनो भाईयों ने गांव छुड़वाया था
Read Moreवक्त के साथ बदलना अच्छा है। चल मुसाफिर! अकेला चलना अच्छा है।। राह में और मौके भी मिलेंगें। मुहब्बत भी
Read Moreप्राइवेट जाॅब चाय का कप उठाने ही वाला था कि हाथ लगा और कप के भीतर की चाय अपनी सारी
Read Moreकिसपे करे भरोसा होता ही अब नहीं। ये दर्द बेतहासा सोता ही अब नहीं।। सोचा उगायें हम फसलों को प्यार
Read Moreबादल शंका के गूथे गये शंका के बादल विभिन्न विद्याओं से जिनकी मोटी परत के नीचे, दबा दिया गया विश्वास
Read Moreनिजी संस्थानों के कर्मचारीयों की बृ़द्धावस्था आज के युग में छोटे मोटे हजारों निजी कारखानें चल रहे है जिनमें आम
Read Moreरिश्तों का इंद्रधनुष है घाट-84, “रिश्तों का पोस्टमार्टम” आप जब कहानी पढ़ना आरम्भ करेंगे तो विश्वास कीजिये आप स्वयं को
Read Moreअज्ञानी भी ज्ञान दे रहे, हद है यार। अदला-बदली मान दे रहे, हद है यार।। धन्ना सेठ बैठ जहाँ पर
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