झड़ते पत्ते
मद्धम मद्धम पवन चली मुस्काई बाग़ की कली कली छायी नवभोर लालिमा प्रखर वृक्षों की डालियाँ गयीं निखर रैनबसेर से
Read Moreमद्धम मद्धम पवन चली मुस्काई बाग़ की कली कली छायी नवभोर लालिमा प्रखर वृक्षों की डालियाँ गयीं निखर रैनबसेर से
Read Moreराजनीति एक ऐसा मंच है जहाँ समर्पण के बिना कुछ नहीं होता और जिसमे देशप्रेम का जज्बा होता है वही
Read Moreसावरिया गिरधारी ,हे माधव बनवारी सावरिया गिरधारी ,हे माधव बनवारी अंखिया मूंदे बैठी रही मैं तुम तो निकट ना आये
Read Moreहार नहीँ मानो तुम हार नहीँ मानो तुम। टूटे मन से खडा कोई नहीँ होता, यूँ तो अंबर से बडा
Read Moreमन आज संभल तू जा मन आज संभल तू जा आज नहीं तो कल बरसेंगे श्याम घनन घनन बादल
Read Moreवास्तव में आपकी जो छवि मीडिया पेश करती है, लोगों की नजरों में आप वैसे ही बन जाते हैं! अधिकतर
Read Moreकोमल तन कमल नयनों वाले चितचोर बृज के नटखट ग्वाले प्रेम का रस बरसाने वाले राधा का मन भाने वाले
Read Moreजग छोटी छोटी माला लेकर नाम तुम्हारा रटता है क्षण क्षण ऐसे भक्तों का बस ऐसे ही माधव कटता है
Read Moreमैं रिक्त हूँ जैसे सूखा घड़ा और चरणों के समक्ष आ हुआ खड़ा मैं प्यासा जैसे धरती प्यासी और तुम
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