मन का डर
उमेश रोज प्रिया से निधि की बड़ाई करता और हर बार की तरह उसकी आँखों में ईर्ष्या देखने की कोशिश
Read Moreआज मचा है हो हल्ला (शोरगुल ) अजीब सी शांति होगी कल होते है रोज बलात्कार जागती नहीं मगर सरकार
Read Moreखूब साज सृंगार कर सज-धज रही थी ! महकते हुए सुंदर रंगबिरंगे फूल खूबसूरती में चार चाँद लगा रहें थे
Read Moreऔरत की किस्मत में कितने गम है पुरुष कहते यह तो बहुत कम है| औरत की आँखे होती हमेशा नम
Read Moreछिड़कते हैं नमक हमारे घावों पर ये दुनिया वाले बिदकते हैं छोटी-छोटी बातों पर ये दुनिया वाले अक्सर पहाड़ राई
Read Moreहमें हैरान-परेशान देख एक व्यक्ति ने हमसे पूछा क्या खोज रही है आप ? हमने कहा ही था कि इंसानियत
Read More“मेरी बच्ची, तू सोच रही होगी कि माँ डायन है, अपनी ही बच्ची को खाए जा रही है। पर नहीं,
Read Moreजख्म जो हरे हैं उन पर मिट्टी डाल रही हूँ पुराने जख्मों को याद कर आँसू बहा रही हूँ |
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