Author: *डॉ. शैल चन्द्रा

कविता

होली

लिए रंगों की झोली।आई होली।बाजे ढोल नगाड़ेंनाचे मस्तों की टोली।आई होली।अंबर में उड़ेअबीर गुलाल रोली।आई होली।रंग-बिरंगे हंसते चेहरेझूमें गाये हमजोली।आई

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कविता

कविता – पावस है मन भावन

धरा ने किया पावस के बूंदों से आचमन।मुस्कुराई प्रकृति,खिलखिला उठा कानन।महक उठी बगिया,खिल गए सुमन।नाच उठा मयूरा,मन हुआ प्रसन्न।गरज उठे

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