वन के दोहे
वन जब तक,तब तक यहाँ,हवा मिलेगी ख़ूब। वरना हम सब पीर में,जाएँगे नित डूब।। वन का रहना है हमें,सुख का
Read Moreवन जब तक,तब तक यहाँ,हवा मिलेगी ख़ूब। वरना हम सब पीर में,जाएँगे नित डूब।। वन का रहना है हमें,सुख का
Read Moreसूरज आतिश बन गया,तपे नगर औ” गाँव । जीव सभी अकुला उठे,ढूंढ रहे सब छाँव ।। लू का तो आक्रोश
Read Moreदुर्गा माँ तुम आ गईं,हरने को हर पाप। संभव सब कुछ आपको,तेरा अतुलित ताप।। सद्चिंतन तजकर हुआ,मानव गरिमाहीन। दुर्गा माँ
Read Moreपटना ! 29/02//24 ! आज के व्यस्ततम समय में एवं लिखी जा रही बोझिल कविताओं के दौड़ में, यदि किसी
Read Moreऐे सैनिक ! फौजी,जवान, है तेरा नितअभिनंदन। अमन-चैन का तू पैगम्बर,तेरा है अभिवंदन।। गर्मी,जाड़े,बारिश में भी,तू सच्चा सेनानी अपनी माटी
Read Moreमंडला–इतिहास के प्रोफेसर,सुप्रसिद्ध साहित्यकार व वर्तमान में शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय मंडला मप्र के प्राचार्य शिक्षाविद् प्रो (डॉ) शरद नारायण
Read Moreमातु शारदे नमन् कर रहा,तेरा तो अभिनंदन है। ज्ञानमातु,हे हंसवाहिनी!,बार-बार पग-वंदन है।। वाणी तुझसे ही जन्मी है,तुझसे ही सुर बिखरे
Read Moreपावन बहुत प्रयाग,चलो करें वंदन अभी। गुंजित सुखमय राग,रहें हर्षमय हम सभी।।(1) कितना चोखा मास,कहते जिसको माघ हम। जीवित रखता
Read More“संवेदना के स्वर” लघु कथाओं का बेहतरीन समुच्चय है। वर्तमान की सुपरिचित लेखिका, कवयित्री, लघुकथाकार डॉ. संध्या शुक्ल
Read Moreखुशियों का संसार है,आज सकल साकेत। सारी दुनिया हर्षमय,जोश हुआ समवेत।। स्वागत,वंदन,मान है,नाच रहा उल्लास। आज अयोध्या झूमती,हुआ राम-आवास।। राम
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