Author: *प्रो. शरद नारायण खरे

गीत/नवगीत

सम्प्रभुता हमारी

हिम्मत,ताक़त,शौर्य विहंसते,तीन रंग हर्षाये हैं ! सम्प्रभु हम,है राज हमारा,अंतर्मन मुस्काये हैं !! क़ुर्बानी ने नग़मे गाये, आज़ादी का वंदन

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मुक्तक/दोहा

युवा चेतना के दोहे (विवेकानंद जयंती 12 जनवरी पर)

युवा चेतना दे रहे,स्वामी जी सानंद ! था ‘विवेक’ पाया सदा,इसीलिये ‘आनंद’ !! किये काम,सो हैंअमर,सदा रहेंगे पास ! नव

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