अवसर
आशाओं के दीप जलाने का यह अवसर है, अब तो प्रिय मुस्कान खिलाने का यह अवसर है । वक्त़ रहा
Read Moreहर किसी को अपने हिस्से की जंग ख़ुद लड़नी पड़ती है ख़ुद को ख़ुद का उजाला और ख़ुद की किरण
Read More“मेरे लिए एक अच्छा-सा लेडीज सूट दिखाओ” लड़के ने दुकान में पहुंचकर कहा ! “जी साब,दिखाता हूं ! दुकानदार ने
Read More(बलिदान दिवस 24. जून पर) रानी तो इतिहास बन गई, हर इक जन की आस बन गई ! जो शोषित
Read Moreसद्य व्याहता मुझे छोड़कर, ओ मेरे मनमीत ! चले गये तुम रिपु से लड़ने, ओ मेरे मनमीत !! हाथों में
Read Moreपीहर को मैं लिख रही, यद्यपि हूँ ससुराल . खुशियाँ हर पल मिल रहीं, सुखी रहूँ हर हाल . मेंहदी,
Read More(1) आत्मग्लानि वह दिन भर की आवारागर्दी के बाद घर लौटा, तो उसने पाया कि उसकी छोटी बहन कलप-कलपकर रो
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