थूँकना, चाटना और थूँककर चाटना (व्यंग्य)
ऊँचे पदों पर बैठे लोगों को देखकर मेरा मन भी ललचाता है कि हाय! हम क्यों उस सिंहासन पर क्यों
Read Moreऊँचे पदों पर बैठे लोगों को देखकर मेरा मन भी ललचाता है कि हाय! हम क्यों उस सिंहासन पर क्यों
Read Moreहोश संभालने के चालीस वर्ष बाद मुझे इस बात की घनघोर अनुभूति हो रही है कि मेरा भारत देश ,
Read Moreसृष्टि पर मानव जन्म के साथ ही चंद्रमा उसके लिए प्रेम और आकर्षण का विषय रहा है। दूर से निहारे
Read Moreचाहे साँस मेरी रूक जाएगगन धरा तक भी झुक जाएवीणापाणि माँग रहा वरकलम कभी ना मरने पाए। लानत है मुझ
Read Moreदेश का धार्मिक वातावरण लगातार सुधर रहा है। मेरे बाप-दादाओं की तुलना में आज के लोग अधिक धार्मिक हो गये
Read Moreभारत एक कृषि प्रधान देश है। आजादी के बाद देश फसल की पैदावार के मामले में कितना संपन्न हुआ यह
Read Moreजब तक पीले पात तरू के नहीं झरेंगेंकैसे नव पल्लव जग का सिंगार करेंगे?कल तक जो फूलों की माला गले
Read Moreतेरे नाम के मद में राधे, मैं तो डूबा जाऊँसुबह-शाम-दिन-रात मैं,राधे-राधे-राधे गाऊँ। चखकर तेरे नाम की मदिरा, दुनिया भूल गया
Read Moreमत जाओ तुम गणराज, बहुत याद आओगेफिर एक बरस तक नाथ, हमें तरसाओगे ना फूलों की लड़ियाँ होगी, रंग-बिरंगी गलियाँ
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