व्यंग्य – औरंगजेब महान
पुरानी कहावत सुन थी कि, मरा हुआ हाथी सवा लाख का होता है। नयी कहावत है, गड़ा हुआ बादशाह करोड़ों
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Read Moreआओ हे नव वर्ष! हर्ष बरसाते आओसुख-समृद्धि मेघ रूप धर, तुम छा जाओ ॠतुंभरा का कण-कण, स्वागत करने आतुरतृण-तृण पलक
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Read Moreहम ही क्यों सब, पुण्य-पंथ के सुंदरतम प्रतिमान गढ़ेंहम ही क्यों सब, चीख-चीखकर बाइबल और कुरान पढ़ेंहम ही क्यों सब,
Read Moreऊँचे पदों पर बैठे लोगों को देखकर मेरा मन भी ललचाता है कि हाय! हम क्यों उस सिंहासन पर क्यों
Read Moreहोश संभालने के चालीस वर्ष बाद मुझे इस बात की घनघोर अनुभूति हो रही है कि मेरा भारत देश ,
Read Moreसृष्टि पर मानव जन्म के साथ ही चंद्रमा उसके लिए प्रेम और आकर्षण का विषय रहा है। दूर से निहारे
Read Moreचाहे साँस मेरी रूक जाएगगन धरा तक भी झुक जाएवीणापाणि माँग रहा वरकलम कभी ना मरने पाए। लानत है मुझ
Read Moreदेश का धार्मिक वातावरण लगातार सुधर रहा है। मेरे बाप-दादाओं की तुलना में आज के लोग अधिक धार्मिक हो गये
Read Moreभारत एक कृषि प्रधान देश है। आजादी के बाद देश फसल की पैदावार के मामले में कितना संपन्न हुआ यह
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