अंगार सुनाता हूँ!!
मैंने भी श्यामल ज़ुल्फों में, अपनी शाम गुजारी है मैंने भी रस भरे लबों पर, अपनी ग़ज़लें वारी हैं मैं
Read Moreमैंने भी श्यामल ज़ुल्फों में, अपनी शाम गुजारी है मैंने भी रस भरे लबों पर, अपनी ग़ज़लें वारी हैं मैं
Read Moreहिन्दी दिवस पर एक प्रचलित कहावत दिमाग में उँगली कर रही है- घूरे के दिन फिरना, यानि “अच्छे दिन आना।”
Read Moreदेश इस समय मुक्ति-पर्व मना रहा है। “कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” कहकर जो दिव्यात्मा संसार से कूच कर गई,
Read Moreथूकना और चाटना- दोनों क्रियाएँ अशोभनीय मानी जाती हैं और थूककर चाटना-अतिअशोभनीय। हमारा देश थूकने के मामले में स्वावलंबी है।
Read Moreमनुष्य हिंसक प्राणी है। हमारे मनीषी और महापुरुष न जाने कब से ज्ञान का कोलड्रिंक पिला-पिलाकर उसे ‘मानव’ बनाने के
Read Moreआँखें, भगवान का वरदान है। अंधापन, अभिशाप। अक्ल भी भगवान की देन मानी जाती है। जो किसी को कम तो
Read Moreमन के उद्वेलित सरवर में स्वप्न भाव के नीलकमल हैं नैनों के पृष्ठों पर अंकित अन्तर्मन की एक ग़ज़ल हैं।
Read Moreकीजिए ना बात हमसे, तीर और तलवार की है बहुत ताक़त बड़ी, इस लेखनी की धार की। ज़ख़्म क्या नासूर
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