महाठगबंधन
एक गाँव था। ठगों का। ये अपने ही गाँव के लोगों को ठगते रहते।इनको देखकर और सुनकर लगता दुनिया में
Read Moreमन के उद्वेलित सरवर में स्वप्न भाव के नीलकमल हैं नैनों के पृष्ठों पर अंकित अन्तर्मन की एक ग़ज़ल हैं।
Read Moreकीजिए ना बात हमसे, तीर और तलवार की है बहुत ताक़त बड़ी, इस लेखनी की धार की। ज़ख़्म क्या नासूर
Read Moreभारत एक सफाई पसंद देश है। यह बात प्रमाणित करते-करते हमें चार साल हो रहे हैं। कोई कचरा उठा रहा
Read Moreकपड़े का आविष्कार मानव सभ्यता की श्रेष्ठतम उपलब्धियों में से एक है। ये बात और है कि जिन अंगों को
Read More(कल्पना कुछ ऐसी है- देर रात थक कर लौटे पति को पत्नी नहीं चाहती कि वह जल्दी उठे ऐसे में वह
Read Moreसब कहते हैं-मंहगाई बढ़ गई। कितना सरासर झूठ कहते हैं। इन झूठों के मारे यदि कल शाम तक धरती रसातल
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