ग़ज़ल
हमको जीवन का दर्शन बताने लगेआईने हमको हँसना, सिखाने लगे। वो छिपाकर के अपने, बगल में छुरीकिस्से गिरिधर- सुदामा के
Read Moreशूल-पत्थर की डगर है तेज़ धाराएँ-भँवर हैंसामने भूधर खड़ा है शत्रु बन तूफाँ अड़ा हैधूल पलकें मूँदती है पग को
Read Moreआज कॉलोनी में सुबह-सुबह जैसे ही एक प्रश्न गूँजा- “पप्पू पास हो गया?” प्रत्युत्तर में मानो कॉलोनी में कोरस सा
Read Moreसत्ताधारी कहते हैं- गरीबों का विकास हुआ। विपक्ष कहता है-गरीबी का विकास हुआ। अपनी तो खोपड़ी घूम जाती है भाई
Read Moreमैं शिक्षक हूँ। एक ऐसे विषय का जिसे न बच्चों पढ़ने में विशेष रुचि है न माँ-बाप की पढ़वाने में।
Read Moreभारत माँ की लाज बचाने, हर इक पहरेदार बनोचोरों को देकर मत अपना, तुम भी ना गद्दार बनो । दीमक
Read Moreउँगली करना अच्छी बात नहीं है। परिवार से लेकर विद्यालय तक और सेवा से लेकर सामाजिक जीवन तक यही सिखाया
Read Moreकहाँ कहा कब हमने यह कि, हम पर विपदा भारी हैकहाँ कहा कब हमने यह कि, जीवन की दुश्वारी है
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