नारी के चरणों में समर्पित शब्दांजलि
शशि से शीतलता मृदुलता फूलों से ले केरब ने धरा को नारी तन से सजाया हैतेरी क्षमता ने धीर-वीर बलवीर
Read Moreशशि से शीतलता मृदुलता फूलों से ले केरब ने धरा को नारी तन से सजाया हैतेरी क्षमता ने धीर-वीर बलवीर
Read Moreपलते-पलते स्वप्न, नैनों को छल जाते हैंकरते-करते हवन, हाथ भी जल जाते हैं आँगन में जो रोपा था, तुलसी का
Read Moreपधारो वसंत! तुम हर साल की तरह इस बार भी बिन बुलाए आ गए? बड़े बेशरम हो भाई!! तुम ऋतुराज
Read Moreसरहद पर खूनी स्याही से, वीरों ने नाम लिखे होंगेजल-हिम-माटी के कण-कण में, वीरों के नाम छिपे होंगेधड़कन ने रिश्वत
Read Moreलेखनी!कुछ फूल श्रद्धा के भी तुम उन पर चढ़ा दो। जो धरा की गोद में ,सब कुछ लुटाकर सो गए
Read Moreऐसा लग रहा है कि पिछड़ने का यही सिलसिला रहा तो भारतवासी स्वयं को आदिमानव भी घोषित कर देंगे। बड़ा
Read Moreसाधुओं !जश्न मनाओ। देश अपनी सांस्कृतिक विरासत का पालन कर रहा है। पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक
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