बसन्त….
मन में फिर से प्यास जगाया पिया मिलन की आस जगाया खेतों मे कुछ फूल हैं पीले हर्षित मन है
Read Moreहौसले सारे मिट जाऐंगे किश्तों में वो बात ही जब ना रह जाऐगी रिश्तों में पतझड़ को अब, तू बहार
Read Moreकाले धन के गद्दारों की दो कौड़ी की हस्ती होगी दिसंबर के बाद जब उनपे बड़ी सख्ती होगी बेनामी सम्पत्ति
Read Moreना किसी का अंधभक्त हूँ ना किसी पार्टी विशेष का मै तो छोटा चारण हूँ अपने प्यारे भारत देश का
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