सिसक रहे हम छुप छुप कर
देखकर दुनिया की हालत को क्यों सिसक रहें हम छुप छुप कर जाने ये कैसा वक्त है आया कल तक
Read Moreदेखकर दुनिया की हालत को क्यों सिसक रहें हम छुप छुप कर जाने ये कैसा वक्त है आया कल तक
Read Moreदेखता हूँ रोज उसे चौराहे पर -और लाल बत्ती के पास अपने हाथों में लेकर रंग बिरंगे गुब्बारों को घूम
Read Moreजीवन में खुशियाँ तुमसे हैं यह जाना मैने आज सही, जीवन के आँगन में -थे अगणित तारे …, जो लगते
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