बेटियाँ
गुड़ियाँ ही नहीं होती बेटियाँ कि सजाई सँवारी जायें होती हैं मनु और पद्मा भी खेल जान पर अपनी देश
Read Moreनिर्भया जैसी बच्चियों के लिए संवेदना प्रकट करने वाले हमारे समाज के हितकारी लोगो को अचानक ऐसा क्या दिखाई दे
Read Moreदेखो पिया…किया श्रृंगार हरी चूड़ियाँ और चुनरिया मेंहदी, पायल,झुमके, हार… सखी-सहेली और ठिठोली हँसतीं सब मस्तों की टोली झूला डला
Read Moreएक पत्रिका में संबंधित लेख पढ़कर और अपनी एक मित्र द्वारा पूछे गये संबंधित प्रश्न से विचार आया मन में
Read Moreसफलता से पहले और असफलता के बाद एक सिरे पर खड़े हम करते हैं संघर्ष बड़े बड़े विमर्श करते हैं
Read More