कहानी– मिट्टी का प्यार
टक टक चलती कुल्हाड़ियां, छू छू करता आरा बेकसूर वृक्षों को काटे जा रहा था। चहुँ और भयावह नजारा था।
Read Moreटक टक चलती कुल्हाड़ियां, छू छू करता आरा बेकसूर वृक्षों को काटे जा रहा था। चहुँ और भयावह नजारा था।
Read Moreधरती प्यासी अंबर निहारे, आओ कहां हो मेघा रे। कई दिनों से आस ले बैठी, मुखड़ा न तेरा देखा रे।
Read Moreदिन भर की भाग दौड़ करके भी मेहनत उस के पल्ले नहीं पड़ रही थी। अपनी डिग्रियां सम्भाल कर कितने
Read Moreहो डगर कंटक भरी ,मुझे मंज़िल को पाना है। झंझावात बेशक खड़े,अविरल कदम बढ़ाना है। हौसले बुलंद अगर ,हो जाती
Read Moreचार दिन का मुसाफिर लम्बा सफर तेरा। चला जाएगा बंदे लगा के जग से फेरा। काम, क्रोध,लोभ बस समझे सब
Read Moreभुला कर हर बात फिर से, बसाएं ज़िंदगी अपनी। भुला कर शिकवे सारे ,फिर सजाएं ज़िंदगी अपनी। दो पल की
Read Moreरखता सब कुछ हाथ है मालिक भगवान। विधि के विधान का आओ करें सम्मान। जो आया सो जाएगा, यह निश्चित
Read Moreभजन करे सिमरन करे, फिरा न मन का फेर। ध्यान सदा धन में रहे, लिया मोह ने घेर। साधु संत
Read Moreचाहत मेरा खून का कतरा,देश की सरहद पर बहाऊँ। देश हित कुर्बान हो कर के, लौट तिरंगे में इठलाऊँ। चाहत
Read Moreप्यार की बातें सब करते, प्रीत लगाना भी तो सीखो। बिना प्रेम बुझती मन बाती, प्रेम ज्योत जगाना सीखो। दो
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