गीतिका
उठो कुछ जीवन में करने की ठाने समय बीत रहा है। कुछ अपनी कुछ जमाने की माने समय बीत रहा
Read Moreछोड़ लोगों की ईर्ष्या को, अपने पथ पर बढ़ता जा। जो राह का अवरोधक हो, निष्ठुर मन से लड़ता जा।
Read Moreघुंघट एक अजीब प्रथा है, सुनयनों कों बांध दिया है। देख सके न नैन उठा के, लज्जापन से साध दिया
Read Moreचलो गण तंत्र दिवस मनाएं अपने वीर शहीदों की याद में शीश झुकाएं क्या इस आजादी के जश्न में गली
Read Moreमतलब का इंसान हुआ है, इतना सा अभिमान हुआ है। बेदर्दी है दिल का इतना, अपनों से शैतान हुआ है।
Read Moreरखा है अब मिरा ही दिल गमों की रोशनाई में। रहा है पास क्या मेरे भला अब जग हसाई में।
Read Moreमन ने कभी मेरा कहना न माना सदा गैर ही मुझे अपना जाना मैं उड़ना चाहता हूँ स्वच्छंद आकाश में
Read Moreवीरान हुआ ख्वाबों का चमन,मायूस ज़िंदगी का सफर। उदासियों से दूर ले चल मुझे हो जहाँ फूलों का शहर। नयन
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