कुछ वक्त बिताऊँ अपने साथ
एक ख्वाहिश पलती है मेरे अंतर्मन में, कुछ वक्त बिताऊँ अपने साथ, अपने से बातें करूँ, कुछ सुनूँ अपने आज,
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Read Moreवर्ष के दो महीने दिसम्बर और जनवरी एक वर्ष के अंत की दस्तक देता दूसरा वर्ष के प्रारम्भ का आगाज
Read Moreख्वाहिशो के पंख यू ही फडफडातें है। कब पूरे होते है सपने सारे। कभी जमीं नही मिलती ख्वाहिशो को, कभी
Read Moreएक सवाल, बोझिल कर देता हैं मुझे, अस्तित्व को मिटा देता हैं मेरा क्योंकि, बहुत बार, असंगत बन जाती हूँ
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