गीतिका/ग़ज़ल शोभित तिवारी "शोभित" 04/06/2017 ग़ज़ल तुझे दिल में लाकर सताना बहुत है। तिरे प्यार को आजमाना बहुत है। ग़मे दिल हमें अब छुपाना बहुत है। Read More
मुक्तक/दोहा शोभित तिवारी "शोभित" 04/06/2017 दोहे : पर्यावरण सही नहीं पर्यावरण, भारत में प्रभु आज। जंगल कटते जा रहें, नहि आयें सब बाज। नही बढाना है अगर, जनमानस Read More