घनाक्षरी
प्रेम के भी रंग – ढंग कैसे हैं प्रसंग सब। बात – बात पर चल जाती यहाँ गोली है।। ऋद्धि-सिद्धि
Read Moreमाँ से मिलने कब आओगे? चंदा मामा बोलो तो। यदि धागा रेशम का उलझा, आकर गाँठे खोलो तो।।
Read Moreअमित अमीत अधूत आज क्यों , मनमानी कर उतराये हैं ? समीकरण क्यों बदल रहे हैं, समदर्शी क्यों घबराये हैं
Read Moreथी निर्भया या दामिनी, या मात्र नारी याचिनी। सृष्टि-अभया दिव्य पूजित, दुख सह रही जग-दायिनी।। कैसी विधा है न्याय की,
Read Moreअमित अमीत अधूत आज क्यों , मनमानी कर उतराये हैं ? समीकरण क्यों
Read Moreक्या वेदना जग की सुना दूँ , या प्रीत का उपहार दूँ । या मौन तोड़ू
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