कविता

चंदा मामा !

माँ से मिलने कब आओगे?
चंदा   मामा    बोलो    तो।
यदि धागा रेशम का उलझा,
आकर   गाँठे   खोलो  तो।।

निःस्वार्थ हृदय तुम दोनों का,
विलग  हुए  फिर क्यों इतना ?
ताक    रहे  अन्योन्य  नेह  से,
कभी   वहाँ   से   डोलो   तो।।

सावन  पावन  लेकर  आया,
मिलन  भ्रात  से  बहना  का।
माँ  कहती आ  टीका कर दूँ,
मुख    मुरझाया   धोलो  तो।।

देती   है   आशीष   सदा  माँ,
तमस   मिटा  यूँ  ही  चमको।
जग-जीवन में शुभ शीतल सी,
रश्मि  ‘अधर’  मधु   घोलो  तो।।

—  शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’

शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

पिता- श्री सूर्य प्रसाद शुक्ल (अवकाश प्राप्त मुख्य विकास अधिकारी) पति- श्री विनीत मिश्रा (ग्राम विकास अधिकारी) जन्म तिथि- 09.10.1977 शिक्षा- एम.ए., बीएड अभिरुचि- काव्य, लेखन, चित्रकला प्रकाशित कृतियां- बोल अधर के (1998), बूँदें ओस की (2002) सम्प्रति- अनेक समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख, कहानी और कवितायें प्रकाशित। सम्पर्क सूत्र- 547, महाराज नगर, जिला- लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) पिन 262701 सचल दूरभाष- 9305305077, 7890572677 ईमेल- vshubhashukla@gmail.com