व्यंग्य कथा – नेतागिरी का पंचनामा
शहर से बाहर, पक्की सड़क के किनारे पीपल पेड़ के सामने, एक अधपक्का ब्लीडिंग के बाहर एक बड़ी सी होल्डिंग
Read Moreशहर से बाहर, पक्की सड़क के किनारे पीपल पेड़ के सामने, एक अधपक्का ब्लीडिंग के बाहर एक बड़ी सी होल्डिंग
Read Moreगांव के लालजी साहू को डी सी जनता दरबार में उपस्थित होने को कहा गया था । आज ही सुबह
Read Moreरावण दहन के दूसरे दिन ऑफिस के दूसरे कमरे में अचानक से ” गदध ! गदध ! ” दो बार
Read Moreबचपन में किसी क्लास में पढ़ा था ” पढ़ लिख कर मैं एक किसान बनूंगा ” शायद तब देश में
Read Moreआज फिर उनकी उपस्थिति पर उसने आपत्ति जताई थी-” ये यहां भी पहुंच गया है। आखिर यह है किस मर्ज
Read Moreअभी अभी खबर मिली है कि लालजी साहू ने सम्प एरिया में काम ज्वाइंन कर लिया है । सुनकर मुझे
Read Moreगांव के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा था। किसी मामले को लेकर रात के बारह बजे पंचायत बैठी
Read Moreबैंक की सीढ़ियां उतरा ही था कि उन चारों ने सुदामा को घेर लिया था, जमीन पर मरा हुआ जानवर
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