कविता: नववर्ष स्वागत
बीते दिनों को अब दो विदाई नव वर्ष को अब दो बधाई लम्हे गुजर गये हैं जो बीते क्या वो
Read Moreबीते दिनों को अब दो विदाई नव वर्ष को अब दो बधाई लम्हे गुजर गये हैं जो बीते क्या वो
Read Moreमंद मुस्कान पाक मन ईशवर का रूप करते दूर हर शिकन ! न भय बन्धनों का न कोई जिम्मेवारी कागज
Read Moreजीवन केवल एक सफर नहीं, इम्तिहान भी है…. हर मोड़ पर आता है यहाँ नया मुकाम ही है… है केवल
Read Moreअनोखा सा है सफर बड़ी लम्बी है डगर मंजिल है बेहद दूर न कुछ भी आता नजर ! खामोश तने
Read Moreपंछियों की तरह हो यह जीवन ऊंची उड़ान, न हो कोई बंधन ! न सीमाओं का घेरा हो कोई न
Read Moreन तो दिन था तुम्हारा कोई न रात, न कोई अपनी शाम ! न घर बार अपना याद तुम्हें न
Read Moreआज फिर से आवाज आई- “सुधा जल्दी तयार होकर समय से आ जाना नीचे”! थक चुकी थी वह सज धज
Read Moreजिन्दगी इक रंगमंच है जिसके कईं रंग रूप हैं कभी छाऊँ तो कभी धूप है ! कभी सुख की मिलती
Read Moreकर रहा है इक करुण पुकार कोख में पलता हुआ इक भ्रूण ! हे मेरी माता ! हे मेरी मैया
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