मौसमे इश्क़ सा
कर गुप्त श्रृंगार, उल्लसित फुहार धम-धम-धमाक दहलाया है उमड़-घुमड़ मेघों के बीच सावन फिर आज गहराया है। तड़-तड़-तड़ित विद्युत जनित
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