गीतिका/ग़ज़ल सुधेश 04/06/201503/06/2015 ग़ज़ल ज़िन्दगी में उलझनें नहीं कम ज्यों तेरी ज़ुल्फ़ के पेचोखम । अतिथि सा आ गया था एक दिन मेरे घर Read More
गीतिका/ग़ज़ल सुधेश 03/06/2015 ग़ज़ल ज़िन्दगी मानो सफर है ऊँची नीची सी डगर है । पाँव में हो थकन कितनी उसे चलना ही मगर है Read More