अबूझ किताब – सुधीर मौर्य
उसने कहा था एक दिन खुली किताब हूँ मैं। पढ़के जान लो मुझे। एक सर्द शाम में, मैं ये जान
Read Moreउसने कहा था एक दिन खुली किताब हूँ मैं। पढ़के जान लो मुझे। एक सर्द शाम में, मैं ये जान
Read Moreदिसम्बर के महीने में वो मिली थी उस धूप के बादल से दिन और तारीख उसे अब याद नहीं सुबह
Read Moreनहीं मैं नहीं चाहता तुम मेरे लिये संयोग और वियोग की नज़्में लिखो नही मैं नहीं चाहता तुम अपने मन
Read Moreतुम ने कहा था एक दिन शरीफे के पेड़ के नीचे ‘शरीफ लड़कियों’ की निशानी है ये देह का बुरका
Read Moreकितना जादू है उसकी कहानियों में, कवितायों में। जब भी पड़ती है वो उसकी कोई भी रचना न जाने क्यों
Read Moreपरियों, तितली, राजा-रानी की कथाएँ कभी पुरानी होती है क्या-कभी नहीं जब सुनो तब नई। एक जमाने में बुझोपुर में
Read Moreदस जुलाई को रिलीस हुई एस एस राजमौली निर्देशित फिल्म बाहुबली एपिक ऐतहासिक गल्प पे आधारित एक नया कीर्तमान है।
Read Moreबहुत खूबसूरत थी वो लड़कपन में। लड़कपन में तो सभी खूबसूरत होते है। क्या लड़के , क्या लड़कियां। पर वो कुछ
Read Moreवो कस्बे में डर डर के रहता था। हालाँकि वो डरपोक नहीं था पर फिर भी डर – डर के रहना
Read Moreजिस मज़बूती से नकार देते हो, तुम ईश्वर का अस्तित्व नहीं नकार पाते अल्लाह को कामरेड ! यह पहला बिंदु
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