उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 34)
30. मधुपर्व गुर्जर राजकन्या देवलदेवी के दुर्भाग्य के आरंभ से ठीक पूर्व जब वह यादव युवराज शंकरदेव के प्रेमपाश में बंधी
Read More30. मधुपर्व गुर्जर राजकन्या देवलदेवी के दुर्भाग्य के आरंभ से ठीक पूर्व जब वह यादव युवराज शंकरदेव के प्रेमपाश में बंधी
Read Moreघोड़े पर सवार जिरह बख्तर पहने अल्प खाँ राजकुमार को देखकर चिल्लाकर कहता है ”अरे ओ काफिर, तू तो अभी बच्चा
Read More29. दुर्भाग्य का आरंभ निश्चित समय और बेला पर पिता और गुरुजनों से आशीर्वाद लेकर अपनी सखियों से गले मिलकर राजकुमारी
Read More28. अपवित्र उद्देश्य राजकुमारी देवलदेवी को अपने हरम में लाने के लिए कामुक सुल्तान ने नायब मलिक काफूर और अजिरे मुमालिक
Read Moreमैं ठुकरा सकता था तुम्हारा प्रेम ठीक वैसे ही जैसे कभी अर्जुन ने ठुकराया था उर्वशी का प्रेम ओ लड़की।
Read More27. स्नेह बंधन बगलाना के महल में राजकुमारी देवलदेवी का कक्ष, गुजरात के राजकुमार भीमदेव एक सज्जित आसन पर बैठे हैं
Read More26. बगलाना मेें उत्सुकता बगलाना के छोटे से महल का एक कक्ष, आमने-सामने आसन पर राजा कर्ण और राजकुमारी देवलदेवी बैठे
Read More25. देवगिरी मेें चिंता देवगिरी के महाराज रामदेव व्यग्र भाव से टहल रहे हैं, दोनों हाथ को बाँधकर पीठ पीछे कमर
Read More24. नियुक्त 1299 में मंगोलो ने डुतुलुग ख्वाजा की अधीनता में दो लाख की सेना के साथ दिल्ली सल्तनत पर हमला
Read More23. धिक्कृत अभिलाषा मलिका-ए-हिंद (कमलावती) ने खुद को पूर्णरूप से सुल्तान के कदमों में निसार कर दिया। अलाउद्दीन ने उसे
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