चाहिए
सुनो! बहुत हुआ मुझे भी अवकाश चाहिए,मैं ही हूँ जिंदगी तुम्हारी ये अहसास चाहिए। थक गई हूँ मैं मन से,
Read Moreशब्द घायल हैं, कलम रो रही है, खबर यह सहन नहीं हो रही है। देश सेवा को समर्पित जीवन, मातृभूमि
Read Moreवो रूठता रहा बात बात पर, मैं मनाती रही, उसकी झूठी मोहब्बत में दिल बहलाती रही। वो हर बार सितम
Read Moreबस दो चीजों के सहारे जिंदगी की सांझ बीत रही है चाय की चुस्की और मीठी यादें तुम्हारी बस और
Read Moreछूना चाहता हूँ मैं तेरे अनकहे जज्बातों को होंठो में दबी रह गयी बातों को बोलो इसका कोई जतन नहीं
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