ग़ज़ल : कुछ ऐसे तेरी रहमतों की हम पर बरसात कर
ए मेरे मौला! कुछ ऐसे तेरी रहमतों की हम पर बरसात कर, कोई ना रहे रोटी, कपड़े और मकान बिना
Read Moreए मेरे मौला! कुछ ऐसे तेरी रहमतों की हम पर बरसात कर, कोई ना रहे रोटी, कपड़े और मकान बिना
Read Moreमेरी मुस्कान है मेरी बेटी मेरी जान है मेरी बेटी जिसकी महक से महकता है मेरा घर आँगन वो गुलाब
Read Moreउन क्षणों का दर्द कोई नहीं समझ सकता इस संसार में जब तक वो क्षण जिंदगी में ना आएं घर
Read Moreवो भी अजब नजारा था एक बूढ़ी माँ की छाती फटी की फटी रह गयी। मुँह से तो वो एक
Read Moreसारे हैं मौन मर रहा किसान दोषी हैं कौन मजे की बात हो रही सियासत देखो हालात चिंता वोट की
Read Moreयाद उन दिनों की दिल से जाती ही नहीं, वो मुस्कुराहट अब चेहरे पर आती ही नहीं। कच्ची उम्र की
Read Moreऐ दोस्त! मेरी छोटी सी तनख्वाह मेरे घर में घुसने से डरती है, परिवार की फरमाइशें, बिलों की लिस्ट जो
Read Moreआज अफ़साना ऐ मोहब्बत लिख दूँ, सोचती हूँ तेरे नाम एक खत लिख दूँ। जो लबों पर आकर ठहर गयी
Read Moreमोहब्बत को तेरी मैंने यूँ सजाकर रखा, आँखों में तेरा ही चेहरा बसाकर रखा। तकदीर का दोष बताती रही ता-उम्र,
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