इक दुनिया प्यार और सच्चाई भरी
ढूंढती हूँ एक दुनिया नयी जहाँ दुनिया की भीड़ में असली चेहरे छिप न जाये कहीं जहाँ आंसू नकली, मुस्कान
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Read Moreठंडी हवाएँ थी और खामोश सी फ़िज़ा मै खो गयी उन की उस ख़ामोशियों में कोई था, वहीँ कहीं महसूस
Read Moreन जाने क्या था उन आंखों में समझ नही पाई अभी इंसानो की भाषा समझ रही थी वो हैवानियत की
Read Moreकैनवास पर रंगों को सजाने चाहती हूं, मगर रंग नही सजते अब ये कैसा इत्तफाक है तेरा आना, और रंगों
Read Moreयूँ तो दोस्त ही था वो मेरा मगर वो था बिल्कुल फोटोफ्रेम मैं कहती थी, कहती ही रहती थी उसका
Read Moreदीवारें कोई दिखती सी कुछ अनदेखी कोई रीति रिवाजों की तो कभी अपने ही मन की मकानों की दीवारें तो
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