गीत : मोम-सा मन
अब प्रिय मन आप बिन, हर दिवस जलने लगा है, रात का गहरा अंधेरा, अब मुझे डसने लगा है ।
Read Moreअब प्रिय मन आप बिन, हर दिवस जलने लगा है, रात का गहरा अंधेरा, अब मुझे डसने लगा है ।
Read Moreभाषा और साहित्य की समृद्धि तथा भाषा भाषियों की संख्या की दृष्टि से देखा जाए तो हिन्दी महत्वपूर्ण भाषाओं में
Read Moreदफ्तर से आते-आते रात के आठ बज गये थे।घर में घुसते ही प्रतिमा के बिगड़े तेवर देख श्रवण भांप गया
Read Moreसुगना आज फिर काम पर देरी से आई।उसका उतरा हुआ चेहरा व सूजी हुई आंखें सब कुछ बयान कर रही
Read Moreप्रात:कालीन होने वाली सभा में इषिता को शुद्ध उच्चारण एवं धाराप्रवाह रूप में बोलते हुए देखकर हिन्दी अध्यापिका नेहा बेदी
Read Moreबाजार से सब्जी लेकर लौटे तो देखा मेज पर पड़े रंग-बिरंगे निमन्त्रण पत्र हमारा स्वागत करने को बेचैन हैं ।श्रीमती
Read More“देखो -देखो….दादी! इसके कोमल-कोमल पंख,छोटी-सी चोंच।देखो ना दादी,, क्या आप नाराज़ हैं मुझसे? ” समीर ने अपनी दादी से कहा
Read Moreसाहित्य और पत्रकारिता के पुरोधा भारतीय आत्मा माखनलाल चतुर्वेदी जी ने तुलसी जी के विषय में लिखा है-“तुलसी जी उन
Read Moreदेख रही हूं मिटता जीवन, छाया घोर अन्धेरा। हर पल जकड़े पथ में मुझको, शंकाओं का घेरा। मेरे जीवन की
Read Moreपेड़ न होते इस धरती पर,, हरी-भरी इसे करता कौन ? पेड़ न होते तब हम सबको मीठे फल खिलाता
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