मुक्तक
पत्थर भी पिघल जाएगा, बस मनुहार करके देख। नहीं तुमको मिले यदि जीत तो फिर प्यार करके देख। विरोधी ही
Read Moreहकले ने फिर काम कर दिया, भगवा को बदनाम कर दिया। काम न करते लाख मदरसे, ये वैसा अंजाम कर
Read Moreसारे कचरे खा जाता था, गोबर सभी पचा जाता था। सड़ा गला भोजन जो दे दो, बिन बोले निपटा जाता
Read Moreबाग-बगीचे वाले दिन, बचपन के मतवाले दिन। कितने भोले भाले दिन, लगते बहुत निराले दिन। बगिया की याद आती है,
Read Moreफीता बांधो या मास्क सखा, ये पब्लिक है सब जानती है। गोबध वाले के संग चला, उसको दुनिया पहचानती है।
Read Moreआगमन-प्रस्थान धरती, पर हमेशा ही चलेगा, प्रश्न ये है, आपने अपनी तरफ से क्या किया है? इस धरा ने हम
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