वैश्विक परिदृश्य में हिंदी : एक अवलोकन
इक्कीसवीं सदी ‘विश्व समाज’ की संकल्पना को साकार करने की सदी है. आज सारा जगत एक ही सूत्र में बन्ध
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Read Moreआज की है ये चीखो-पुकार पानी पानी पानी… जनता है परेशान, नेता हैं हैरान कहां से लायें पानी पानी पानी…
Read More‘‘मैं केवल भारतीय रहूँगा। मेरी पहचान केवल एक भारतीय के रूप में होनी चाहिए। ….बस मंै इसी बात के लिये
Read Moreभारत एक प्रगतिशील राष्ट्र है। प्रगतिशील राष्ट्र है तो यहाँ बाधाएँ, ऊँच-नीचता और लैंगिक भेदभाव सहज ही होता है। इसका
Read Moreभारतीय संविधान में भारत की जनता को अपनी पसंद से जीने के मौलिक अधिकार प्राप्त हूए हैं। रंज होता है
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