गीतिका/ग़ज़ल डॉ. तारिक असलम तस्नीम 22/10/201622/10/2016 ग़ज़ल किस तरह बेहतर उसके ख्यालात होंगे जख्म भींगे हुए, दर्द भरे हालात होंगे दुआ सलाम से भी लोग नजरें चुराने Read More
गीतिका/ग़ज़ल डॉ. तारिक असलम तस्नीम 22/10/201622/10/2016 ग़ज़ल तैरते हैं जो लोग बीच धारे में डूबते हैं वो अक्सर किनारे में नहीं निकाले तीरो-खंजर कभी जां-ब-हक हुए इक Read More