गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

किस तरह बेहतर उसके ख्यालात होंगे
जख्म भींगे हुए, दर्द भरे हालात होंगे

दुआ सलाम से भी लोग नजरें चुराने लगे
जरा सोचिये तो दिल में कैसे जज्बात होंगे

रवां दवां यहाँ नुमाइश का ऐसा सिलसिला
काबिल ए कबूल किस तरह मामलात होंगे

गुम होता गया सब कुछ सैलाब के जद में
देखकर यह तमाशा कैसे तसव्वुरात होंगे

करने लगा हूं अब तो आईने से ही मैं सवाल
अब और जहाँ में कैसे-कैसे खुराफात होंगे

डा तारिक असलम तस्नीम, पटना

डॉ. तारिक असलम तस्नीम

नाम- मुहम्मद तारिक़ असलम लेखन - डा० तारिक असलम "तस्नीम " शिक्षा - एम ए ,पत्रकारिता एवं जन संचार , चिकित्सा स्नातक ,एनसीईआरटी वर्कशॉप इन स्क्रीन प्ले राइटिंग्स । १९७५ से लेखन व पत्रकारिता । दाे कहानी संग्रह , दाे लघुकथा संग्रह , एक काव्य संग्रह तथा दाे लघुकथा संकलन संपादन । एक लघुकथा संग्रह मेहता पब्लिशिंग हाउस ,पूणे से मराठी में प्रकाशित ।आकाशवाणी पटना से रचनाएँ प्रसारित। देश की असंख्‍य हिंदी ,बंगला ,मराठी ,भाेजपुरी,अंगिका के अलावा सरकारी विभागीय पत्रिकाओं में भी रचनाएँ नियमित प्रकाशित । इस संबंध में सामयिक जानकारी फेसबुक से ली जा सकती है जाे Tariq Aslam Tasneem नाम से संचालित है ।