बालकविता : गरमी के दिन
गरमी के दिन आते ही, सूरज का चढ़ता पारा। ओह हाय ऊफ़ तौब़ा, करने लगता जग सारा। तन से छूटता
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Read Moreहजारों वर्ष पहले की बात है। सिवनीगढ़ में राजा मनोरम देव का राज्य था। अपने पिता महाराज आदित्य देव से
Read Moreबहुत पुरानी बात है। सिर्रीगढ़ में कोलवंश के राजा शिखरचंद्र का राज्य था। महाराज शिखरचंद्र बड़े वीर , प्रतापी व
Read Moreदोपहर का समय था। बच्चे स्कूल के मैदान पर लंच कर रहे थे। बच्चों के ही पास अध्यापक सुभाष यदु
Read Moreशारदा साहित्य समिति – निकुम जिला दुर्ग-छत्तीसगढ़ ( भारत ) के तत्वावधान में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम दिनांक – 30/12/2020 दिन
Read Moreनीली-नीली गिरिश्रृंखलाओं , हरे-भरे वृक्षों , टेढ़ी-मेढ़ी राहों से घिरे गोड़ आदिवासी बाहुल्य एक छोटा सा गाँव है चितनार। धान
Read Moreतुम आना प्रिये! अब की बार, बनकर दीपक मेरे सूने आँगन में। दिन-मास मेरा प्रतिकुल रहा, सच धीमा बीता यह
Read More“छोड़ो न अंजू। हमारे जैसे कई लोग होते हैं जिनके औलाद नहीं होते।अपनी किस्मत में नहीं है संतान-सुख तो क्या
Read Moreछिपी बहुत सी गहरी बातें, भादों की बारिश में। वसुंधरा की धानी चुनर से, निसर्ग हुआ नयनाभिराम। शीतल आर्द्र पवन
Read Moreआबाद होने को जब हुई बरबादी। देश को तब मिली आजादी।। दो सौ वर्षों तक , देश रहा गुलाम। छिनी
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