बालकहानी : शशांक की गुरुभक्ति
सिर्रीवन में सृष्टि ऋषि का आश्र था। आश्रम में रहकर विद्यार्थी विद्या प्राप्त करते थे ; क्योंकि पहले आज की
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Read Moreकभी किसी का बसेरा ना जले । तेरा ना जले, मेरा ना जले। । छोटा सा जीवन चार पहर ।
Read Moreआओ साथी मिल कर , हम कोरोना से जूझें । जीवन एक संघर्ष है । एक विचार-विमर्श है । एक
Read More( 1 ) खुद की रक्षा आज के लिए बनी देश-सुरक्षा । ( 2 ) संकट आया प्रकृति दोहन से
Read Moreआओ यार स्वेटर मफलर रजाई । अजी तुम कहाँ हो भाई । ठण्ड लगी है मुझे जी । कुछ नहीं
Read Moreहे राम ! उस सीता की बात न धर तू अपनी सीता की बात कर । सच है ! कभी
Read Moreएक बार ज्ञानदायिनी माँ सरस्वती हंस पर सवार होकर आकाश मार्ग से होते हुए श्रीहरि विष्णुजी से मिलने विष्णुलोक जा
Read Moreकीट पकड़ कर डाॅक्टर आए । मुझे देख कर वो मुस्कुराकाए । छुए हाथ और छुए माथा , बुखार होने
Read Moreहर हाथ में रहे तिरंगा भाई । हर हाथ में बहे गंगा भाई । तन-मन सुंदर निर्मल-धवल । चेहरे पर
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