दीपक
दीपक अंधेरे में खड़ा है अकेलाखुद को जला कर करता उजालाजग में तम का खड़ा है साम्राज्यदीपक तनकर खड़ा है
Read Moreपाप की जो करी है कमाई तेरे काम ना अयेगीबेईमानी से अर्जित आई पाप के घर ही जायेगीमत कर तुम
Read Moreजब तक सूरज चाँद रहेगासत्यमेव जयते जग में गुँजेगासागर इसे डूबो सकता नहींमिट्टी दफन कर सकता नहीं सत्य की राज
Read Moreगाँव जवार भूला सहचारयुवा भुला अपनी संस्कारकलियुगी रंग में रंगा संसारजग से रूठा कहाँ छुपा प्यार दशहरे की वो ग्रामीण
Read Moreहे मानव जग में तुँ है महानजग में मत बन तूँ नादानप्रेम बीज धरातल पे गिरानाप्रेम मोहब्बत की फसल उपजाना
Read Moreसाँसें थक कर अब चूर हुईशक्ति तन से भी दूर हुईमन ने क्या ख्वाब सजाये थेपर कोई काम ना आये
Read Moreतन की मैल गंगा में धो आयामन की मैल कब धोने जायेगाअन्तरात्मा जब तेरा है रे पापीतन धोने से कुछ
Read Moreमानव भूल गया संस्कारमतलब की लगती दरबारकोई किसी का ना है यारस्वार्थ के साथी हैं बस चार झुठे रिश्ते की
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