मुक्तक
झूठ की गर्दन कट जाये शब्दों का ऐसा वार लिखें तलवार से भी तेज चले हम कलम की ऐसी धार
Read Moreउनको खबर नहीं है की आँखों में प्यार किसका है? मेरे दिलो-दिमाग में छाया ये खुमार किसका है? इक दीद
Read Moreबैकुंठ गए सब देव, रहे हनुमान धरा पर। कलियुग में भी सत्कर्मों का मान धरा पर। भूत-प्रेत,बाधाएं मिटें, हो भक्ति
Read More(पिछले दिनों व्यस्तता के चलते आप लोगों के बीच नहीं आ पाया. दिनांक 11 सितम्बर 2015 को दैनिक जागरण झाँसी समाचार पत्र
Read Moreविद्या का व्यापार बढ़ा है हाट सजी है गुरुकुल में। गुरु की नज़रें तनी हुई हैं शिष्य फंस गए चंगुल
Read Moreमुद्दत बाद गुजरा हूँ तेरी गली से इल्म है की तुम्हें न देख पाउँगा। फिर भी एक उम्मीद है कि
Read Moreजबसे आया हूँ जहाँ में तेरे आँचल में हूँ माँ मैं। पहले साड़ी का किनारा अब दुआओं की छाँव में।
Read Moreजब भवंरो की गुंजन में हो कलियों का गुणगान कोई। जब बसन्त ऋतु को समर्पित कर दे निज पहचान कोई।
Read Moreछटपटाती रहीं और सिमटती रहीं कोशिशें बाहुबल में सिसकती रहीं। जुल्म जिस पर हुआ,कठघरे में खड़ा। करने वाले की किस्मत
Read Moreधन वैभव की चकाचौंध में महत्वपूर्ण काम क्यूँ भूल गये। जिसकी कृपा से ऐश्वर्य मिला वो राम नाम क्यूँ भूल
Read More