औरत
थक गई हूँ खुद से , जाने क्यों टूटने लगी हूँ। लगता है जैसे खुद को ही छलने लगी हूँ
Read Moreचंद पल जो तुमको जिंदगी दे जाएं , कुछ हसरतें जो बचपन में ले जाएं । भूल जाएं अतीत की
Read Moreनेह लगाकर भूल गए क्यों पास बुलाकर दूर गए क्यों। मैं तो तुम्हरी प्रीत बाबरी , वंशी बजाकर छोड़ गए
Read Moreउम्मीदों के चिराग , आज भी हैं बेहिसाब । क्या हुआ जो रात एक गुजर गई । मौसम के मिजाज
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