बगाबत
बगाबत पे उतर आती है जिंदगी , कानून को परे रखकर खंजर की तरह । लहूलुहान हो जाते हैं रिश्ते
Read Moreपाती प्रिय के नेह की आंखों में आँसू भर जाती है पंथ तुम्हारा निहारकर धूल मुझे दे जाती है ।
Read Moreकैसे कह दूं तुझसे कि अब प्यार नहीं, ये दिल ही तो है कोई खिलौना तो नहीं । दर्द ऐ
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