कविता *वर्षा वार्ष्णेय 19/02/202027/02/2020 दर्द जब भी हर्फ़ों को कागज पर उतारना चाहा तुम और तुम्हारे जज्बात आँखों में उतर आये कलम दौड़ती रही दीवारों Read More
कविता *वर्षा वार्ष्णेय 19/02/2020 सुकून तुम मुझे मेरा सुकून लौटा दो वो खोया हुआ समय लौटा दो । रखा था संभालकर बरसों से वो मेरा Read More
क्षणिका *वर्षा वार्ष्णेय 18/01/202019/01/2020 क्षणिकाएँ 1 आंसूओं ने भी सीख लिया है चुपचाप बहना, क्यों रुलाये और किसी को गम तो अकेले है सहना। 2 Read More
गीत/नवगीत *वर्षा वार्ष्णेय 18/01/2020 नफ़रत लहू बनकर बहती है मोहब्बत जहाँ आज भी जिस्म में , जाने कैसे नफरत से यारी कर लेते हैं लोग Read More
सामाजिक *वर्षा वार्ष्णेय 15/01/2020 प्रेम एक दूसरे की भावनाओं को समझना दुनिया का सबसे दुष्कर कार्य है । प्रेम की मूल भावना प्रेम को बाहरी Read More
कविता *वर्षा वार्ष्णेय 09/12/201909/12/2019 कविता देख रही हूँ फिर से बदल रहे हो तुम तोड़कर धारा से संबंध सारे आसमान में उड़ रहे हो तुम Read More
कविता *वर्षा वार्ष्णेय 09/12/201929/12/2019 नववर्ष अलौकिक अवधारणा से पूर्ण हो नूतन वर्ष की परिकल्पना , संदेश प्रेम भरा संसार में हर पल फैलाना तुम । Read More
कविता *वर्षा वार्ष्णेय 09/12/201929/12/2019 मेरा देश मेरे देश की अनमोल बातें , मुझको याद दिलाती हैं । मैं हूँ पहले एक इंसान , मर्यादा यही सिखाती Read More
कविता *वर्षा वार्ष्णेय 14/11/2019 औरत और उम्मीद उम्मीदों के सुलगते चूल्हे पर जाने कितने युग बीत गए साँचा बनाकर औरत का क्यों प्रभु तुम भी भूल गए Read More
गीत/नवगीत *वर्षा वार्ष्णेय 14/11/2019 सिर्फ तुम बिन तेरे सब सूना लगता है एक तू ही दिल के करीब लगता है । इश्क़ भी तू नफरत भी Read More