क्षणिकाएँ
1 आंसूओं ने भी सीख लिया है चुपचाप बहना, क्यों रुलाये और किसी को गम तो अकेले है सहना। 2
Read Moreउम्मीदों के सुलगते चूल्हे पर जाने कितने युग बीत गए साँचा बनाकर औरत का क्यों प्रभु तुम भी भूल गए
Read More*क्यों एक सास कभी माँ नहीं बन पाती हँस रहे होंगे न आप भी क्या वही पुराना किस्सा, लेकिन तीस
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