प्रेम की वीणा
प्रेम की वीणा पर जब भी थिरकते हैं कदम सराबोर हो जाता यूँ ही बहक जाता है मन चांदनी में
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Read Moreनारी हूँ मैं सिर्फ यही चिंता तो समाज को है , कौन जानता है दुख मेरा , सबको मतलब सिर्फ
Read Moreबेपनाह इश्क़ समंदर के मानिंद, अंतहीन सफर अंतहीन रास्ते … सरसराहट सी भर देता मन के अंदर , जाने
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