रामराज्य
सतयुग के राम को कलयुग में लाना चाहते हो कैसे बावरे हो तुम क्या चाहते हो आज न वैसी कौशल्या
Read Moreसर्द सर्दियों की रातों में रजाई में दुबकना अच्छा लगा हैं वो तेरा अपनी बाहों में मुझे समेटना अच्छा लगता
Read Moreआस का पंछी है छलिया जो रह-रह छल जाता है नभ में कहीं नजर नहीं आता फिर भी होता है
Read Moreउनसे मिलने लगे जब अपने रास्ते उसने अपना आशियां बदल लिया । गिला जब किया अपने आंसुओं का उसने दामन
Read Moreमेरे आंगन में बरसने वाली बरसाते अब कहीं और बरसती है मेरे हिस्से की शबनम अब किसी और को भिगोती
Read Moreशाम की यह बेला कुछ सुर्ख हो चली दरख्तों की शाखाओं में कुछ सरसराहट सी हुई परिंदों की कतारों ने
Read Moreजिंदगी रोज डरातीं है हमें जब भी मौका मिले धोखा दे जाती है हमें मौत का क्या है? वह हमेशा
Read More