उपन्यास : शान्तिदूत (बत्तीसवीं कड़ी)
कृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का सिर काटने के दृश्य को याद करके सब भयभीत हो गये। उन्होंने देखा
Read Moreकृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का सिर काटने के दृश्य को याद करके सब भयभीत हो गये। उन्होंने देखा
Read Moreकृष्ण के स्वागत से लौटते हुए दुर्योधन के मन में बहुत रोष था। वह अपने रोष का प्रदर्शन करना नहीं
Read Moreदो दिन पहले एक विडियो इन्टरनेट पर दिखाई दिया था, जिसमें एक इस्लामी आतंकवादी बहुत क्रूरता से एक अमेरिकी पत्रकार
Read Moreजब पांडवों का दूत यह समाचार लेकर हस्तिनापुर पहुँचा कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण पांडवों की ओर से समझौते के लिए
Read Moreजैसे ही रथ उपप्लव्य नगर की सीमा से बाहर निकला, वैसे ही सात्यकि ने अपनी जिज्ञासा, जो उसने बहुत समय
Read Moreपांडवों के जाते ही कृष्ण ने सात्यकि को बुलवाया। सन्देश मिलते ही वह उपस्थित हो गया। कृष्ण ने उनसे कहा-
Read Moreपांडवों ने कृष्ण को हस्तिनापुर जाने के बारे में सहमति दे दी थी, लेकिन कई बातें अभी भी उनके मस्तिष्क
Read Moreप्रातः ही कृष्ण अपने नियमित समय पर उठे। नित्य की क्रियाओं से निवृत्त होकर उन्होंने युधिष्ठिर के पास संदेश भेज
Read Moreपांडवों की ओर से सन्धि का प्रस्ताव लेकर हस्तिनापुर जाने का निश्चय कर लेने के बाद कृष्ण इस बात पर
Read Moreउसी रात्रि को अपने कक्ष में अपने पलंग पर लेटे हुए कृष्ण बहुत गहरे विचारों में डूबे हुए थे। उनके
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