आरे में आरा
टहल-वहल कर आया और झाड़ू-वाड़ू भी लगाया क्योंकि बाहर की खर-पतवार पर कई बार निगाह-सिगाह पड़ चुकी थी। अब चाय-वाय
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Read Moreगजब है भाई इस देश की मीडिया ! हाँ ‘मीडिया’ को लेकर कन्फ्यूजियाइए मत, आज के जमाने में इसका दो
Read Moreवैसे मैं खोने-पाने का तो नहीं, लेकिन अपने द्वारा किए वादे का हिसाब जरूर रखता हूँ, आखिर हम त्रेता से
Read Moreघिसई अकसर नेताओं के भाषणों को “आरत के मन रहई न चेतू” टाइप से आब्जर्व करता है और उसी में
Read Moreमैंने चौराहे पर आज एक राजनीतिक दल का जुलूस देखा। जिसकी अगुवाई एक सज्जननुमा नेताजी के हाथ में था, जो
Read Moreमैं बैठे-बैठे बोर हो रहा हूँ..बोरियत भगाने के लिए कुछ लिखने की सूझ रही है..लेकिन यहाँ का दृश्यमान वातावरण बोरियत
Read Moreपेट्रोल पंप का कर्मचारी कार की टंकी में पाइप का नोजल डालकर इत्मीनान से नोट गिनने लगा और मैं पंप
Read Moreपेट्रोल पंप की ओर कार मोड़ते ही मुझे घिसई दिखाई पड़ गया। देखते ही मैंने उसे जोर से पुकारा, “का
Read Moreक्यों न हम शरीर को ही आत्मा माने..! आखिर, आत्मा मानने से अनेकानेक लफड़े जो खड़े हो जाते हैं..! फिर
Read Moreवैसे तो कबीर लिटरेचर मेरा प्रिय विषय रहा है..! लेकिन इधर कबीर राजनीति के क्षेत्र में उतर आए हैं, और
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