यात्रा वृत्तान्त

एक कैम्पस

सायं सात हो चुका था जब मैं ऑफिस से घर पहुँचा‌। पत्नी ने मुझे देखकर भी अनदेखी किया। उनके चेहरे के भाव से लगा कि वे कुछ खिन्न मन:स्थिति में हैं। व्यंग्यात्मक अंदाज में वे मुझसे बोली थी, “ऑफिस के सब निपटाकर चले होंगे, है न?” यह उनकी भड़ास थी। मैं समझ गया कि जरूर […]

कहानी

अम्मा

“अम्मा! पहचानूँ हम‌इ?” “अरे बिटिया भला तोह‌इं न पहिचानब!” यह कहकर उन्होंने नाम लेकर बताया कि वह कौन है। पिचासी वर्ष से कुछ अधिक ही आयु होगी इन वृद्धा की, जो अभी-अभी व्हील चेयर से यहाँ आई हैं। आज उनके पौत्र का व्रतबंध संस्कार कार्यक्रम है। उनके चेहरे की झुर्रियां और सिर के सफेद बाल […]

हास्य व्यंग्य

वे आउट ऑफ स्टेशन हैं!

दिल दिया है जां भी देगें ऐ वतन तेरे लिए‌। ऐसे गाने अकसर किसी राष्ट्रीय दिवस पर बजते हैं। आज सोसायटी में भी गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी थी। गाना वहीं बज रहा था। इसे मनाने कार्यालय जाने के लिए मैं तैयार बैठा ड्राईवर की प्रतीक्षा में था। ये गीतकार भी न, भावनाओं से खूब […]

संस्मरण

नेऊरा भ‌इया!

मैं नोयडा में हूं। नोयडा, विकास के पैमाने पर विकसित है, यह पैमाना पश्चिम का है। इन दिनों इस विकास को महसूसने का प्रयास कर रहा हूं। यहाँ की सड़कें चमचमाती और गुलजार रहती हैं। हम एक सोसायटी में रहते हैं। ऊँची-ऊँची बिल्डिंगों के रहवासियों से बनती हैं ये सोसायटियां। सड़कों से गाड़ियां इन सोसायटियों […]

हास्य व्यंग्य

भारत महोत्सव और भेलपुरी!

उस दिन लखनऊ में एलडीए के गोल मार्केट से पत्नी को खरीददारी कराकर वापस आ रहा था। मैंने लाल रंग का एक काफी पुराना लोअर जिसपर लिखावट वाला प्रिंट था, के साथ एक पुरानी सफेद रंग की टीशर्ट के ऊपर पूरी बाह का स्वेटर पहने हुए था। यह स्वेटर भी तेइस साल पुराना है, जिसे […]

हास्य व्यंग्य

मेरे मानहानि का मामला

उस दिन आफिस की डाक देखते-देखते अचानक एक शिकायतनुमा पत्र पर मेरी नजर ठहर गयी! उसे एक ही झटके में पढ़ गया। दिमाग भन्नाया। घंटी दबाया और दबाता ही रहा। हड़बड़ाया चपरासी सामने आ खड़ा हुआ। कार्यालय सहायक को तत्काल हाजिर कराने का उसे फरमान सुनाया। कार्यालय सहायक आ‌ गए। उन्हें शिकायती पत्र पढ़ने के […]

हास्य व्यंग्य

चैतन्य चूर्ण

यह तो खुशी की बात हुई कि एक र‌ईस के मासूम बेटे ‘आर्यन’ को जमानत मिल गई! इस ख़बर से सांस में सांस आई! नहीं तो नाक फंसी हुई थी। क्योंकि उसके जेलावास से देश की इज्जत, धर्मनिरपेक्षता और कानून सभी खतरे के जोन में आ ग‌ए थे। प्रकारांतर से यह संवैधानिक संकट की स्थिति […]

हास्य व्यंग्य

कौन बिरिछ तर भीजत ह्वै हैं सत्य-अहिंसा दोउ भाई

दो अक्टूबर के दिन सुबह से ही दिमाग पर गांधी जी सवार थे! सुबह उठने पर यही सोचा था कि आज गांधी जयंती को मनाना है। इस चक्कर में टहलने वाला कार्यक्रम भी स्थगित कर दिया था। गांधी जी की दो बातें दुनियां वाले खूब याद करते हैं, पहला सत्य और दूसरा अहिंसा। खैर उन्होंने, […]

हास्य व्यंग्य

व्यंग्य और बाजार में जुगलबंदी

उस दिन खाने की टेबल पर बैठा ही था कि मोबाइल की रिंगटोन बजी। कॉल अननोन नंबर से था। अपन की प्रवृत्ति जिज्ञासु हैं, इसलिए हाथ में लिया कौर मुँह में ढकेला और उसे गटककर दूसरे हाथ से मोबाइल कान से सटाकर ‘हलो’ कहा। उधर से परिचयात्मक स्वर उभरा कि वह किसी प्रकाशन संस्था से […]

हास्य व्यंग्य

सिस्टमपंथी

देश-भक्त ही देश की चिंता कर सकते हैं। मेरे इस कथन पर मुझे दक्षिणपंथी घोषित करते हुए उन्होंने कहा, “देशभक्त हुए बिना भी देशहित की चिंता की जा सकती है।” और फिर यह कहते हुए, “अरे हां भा‌ई! ये तंत्र-मंत्र शक्तिधारी ही देश-भक्त हैं…बाकी हमां-सुमां तो रियाया हैं..हम डाइरेक्ट देश के काम थोड़े ही न […]